तीर वो जो दुश्मन की कमान के थे
पर तरकश में एक मेहरबान के थे
पर तरकश में एक मेहरबान के थे
कोशिशें बहुत हुई हमको गिराने की
ख़ाब अपने भी ऊँचें आसमान के थे
ख़ाब अपने भी ऊँचें आसमान के थे
ठोकरें खाकर भी हम गिरके संभल गए
पंख नाज़ुक थे मगर हौंसले उडान के थे
पंख नाज़ुक थे मगर हौंसले उडान के थे
चुरा के लाया हूं मैं जो गुजरे ज़माने से
वो कुछ लम्हे जो अपनी दास्तान के थे
वो कुछ लम्हे जो अपनी दास्तान के थे
लहू से सींचा था हमने जिस बगिया को
तोड़कर ले गए जो फूल बागबान के थे
तोड़कर ले गए जो फूल बागबान के थे
रगों में दौड़ती हैं नफ़रतें लहू के बदले
वो हिस्से कभी मेरे हिन्दुस्तान के थे
वो हिस्से कभी मेरे हिन्दुस्तान के थे
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