सुर्ख लाल...
कुछ गुलाबी
या कहो
पर्वत सी
लालिमा लिए,
जो किरणों के
प्रभाव से
प्रदीप्तमान है ...
कुछ गुलाबी
या कहो
पर्वत सी
लालिमा लिए,
जो किरणों के
प्रभाव से
प्रदीप्तमान है ...
वहीँ उसके अन्दर
घुप्प अंधेरों में
दो सुरंगें
जो करती हैं
विभाजित उसे
लगभग दो बराबर हिस्सों में...
घुप्प अंधेरों में
दो सुरंगें
जो करती हैं
विभाजित उसे
लगभग दो बराबर हिस्सों में...
उसके अन्दर का
परिदृश्य
जो उगल देता है
हरे, पीले या
कभी कभी हलके गुलाबी
रंग लिए नमकीन स्वाद
वाला द्रव्य और
अन्देशा देता है
मौसम के
बदले प्रभाव का...
परिदृश्य
जो उगल देता है
हरे, पीले या
कभी कभी हलके गुलाबी
रंग लिए नमकीन स्वाद
वाला द्रव्य और
अन्देशा देता है
मौसम के
बदले प्रभाव का...
वहीँ कुछ जगह
बूंदों का
टप...टप...टप
या
अविरल
धारा की तरह
बदस्तूर जारी
रहता है बहना
मौसम के
बदलने-बदलने तक...
बूंदों का
टप...टप...टप
या
अविरल
धारा की तरह
बदस्तूर जारी
रहता है बहना
मौसम के
बदलने-बदलने तक...
और
मौसम का बदलना
सामने रख देता है
समाज के दो पहलू
एक जो संभाल लेता है
इस द्रव्य को
किसी रेशमी रुमाल में
और दूसरा
परवाह नहीं करता
चाहे जो गति हो द्रव्य की...
मौसम का बदलना
सामने रख देता है
समाज के दो पहलू
एक जो संभाल लेता है
इस द्रव्य को
किसी रेशमी रुमाल में
और दूसरा
परवाह नहीं करता
चाहे जो गति हो द्रव्य की...
फिर अंत में रह जाते है
बांकी निशाँ
फटी कमीज
की बाजुओं पे
जो वक्त के साथ
और गहरे हो उठते है
और निकल पड़ते है
तलाश में
किस ऐसे हाथ का
जो शायद बदल दे
बदलते मौसम की तरह
उनकी किस्मत भी... TT
बांकी निशाँ
फटी कमीज
की बाजुओं पे
जो वक्त के साथ
और गहरे हो उठते है
और निकल पड़ते है
तलाश में
किस ऐसे हाथ का
जो शायद बदल दे
बदलते मौसम की तरह
उनकी किस्मत भी... TT
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