यूँ तो...
कितना कुछ था...
दुनियाँ में...
दुश्मनी के लिये "भास्कर"...
एक मैं था कि...
बस प्यार में खोया रहा...
वो बड़े अदब से...
मेरी पीठ में...
नश्तर चुभो गया...
मैं रख के सर...
उसकी गोद में...
मुहं ढांक के सोया रहा...
उसके जाने से जो...
एक धूल उठी थी...
ग़म की..
मैं अभी तक...
उसी धूल को...
आँखों में बसाये रहा...
जाने वाले तू...
एक दिन...
लौटकर आएगा ज़रूर...
मैं यही सोच कर...
अपने दिल में...
तेरी यादों को संजोये रहा...
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