Tuesday, November 23, 2010

विकास : मानव से दानव तक

मानव  
सृष्टि की सुन्दर रचना
मनु की सम्पदा 
जीवों मैं श्रेष्ट
उस परमब्रह्म की महान उपलब्धि है |

मनुज 
प्रकृति का विनाश करके
अपने कर्तव्यों से विमुख हो
अपना ही सर्वनाश कर राह है |

मनुष्य
इस निर्मल रचना को मलीन कर 
आपस मैं लड़ - लड़ के
अपना जीवन व्यर्थ कर रहा है |

भीषण नर संहार देख
बेबस और असहाय सृष्टि
रो-रो के पुकारती है
हे जीवश्रेष्ट ! तुझे क्या हो गया |

और
कुंठित होते मेरे मन मैं होता 
घोर आश्चर्य !
ईश्वर की इस  महान कृति पर | 

No comments:

Post a Comment

विज्ञापन

दिल्ली हाईकोर्ट ने विज्ञापन मे चेहरा नहीँ दिखाने के लिये कहा तो केजरीवाल आजकल पिछवाडा दिखा रहे है!! अब सीधे विज्ञापन पे आता हूँ: नमस्कार...