Wednesday, November 24, 2010

जुस्तजू

है हमको भी एहसास की, ये ज़िन्दगी की शाम है,
फिर भी जीने के लिए, इक शाम की तलाश है |

साथ यारों का मिला की भूल खुद को ही गए
आराम ही आराम था अब काम की तलश है |

साथ जिसका भी दिया, है ज़ख्म उसने ही दिया,
ज़ख्म ही भरते नहीं, अब जाम की तलाश है |

रात भी कटती जहाँ थी, चांदनी के साथ में,
साथ अंधेरों का मिला, अब चाँद  की तलाश है |

अपने लोंगों में रहे , बेकार और गुमनाम हम, 
खुद को भी अहसास है, अब नाम की तलाश है |

कोई चीज़ ऐसी है नहीं, "भास्कर" ना ढूँढे मिले,
ज़िन्दगी ग़मगीन है, भगवान् की तलाश है | 

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