Tuesday, December 7, 2010

औचाट...

वीक पराणी पार, 
थौ लै निरोंछी |
आपाण बाड़- ख्वाडाकि  खबर, 
उकें अपूण हैबे सकर रोंछी |
पाँख जास उड़े गाय ऊँ,
जो नन्तिना पार पराणी वीक रोंछी|   
हदगयी श्योव करीछी जाना लिजी,
छोड़  गयी ऊं यकाल उकैं,
अन्यार कुणम ,
शांशौक दी जस |
कैहेंते  फेडीं 
अपन पराणी असंत ,
ही भरी जाँ वीक,
जब  याद ऐं आपाणकि  |
आन्गम छटबटाट  पडूँ,
जब कल्जौमुनाव पार औषाण आँछ, 
और आँख लैजानी शरग,
चानी ब्याणतारै मुखडी |
आयी आश लै जाली नई दिनकी,
फिर दौंकार आयी उठल , 
जो फेड़ी जाल कुटव - दातुलील,
बाड़ ख्वाडा में........................
वाड-शयोनू में........................
मरण - मरण जालै |    

1 comment:

  1. budh badhyuk man ki baat khoob badhiya dhangal pesh kar rahe...dwi aakhar myar taraf be..
    maa ki dua kabhi khali nahi jati,
    uski baddua tali nahi jati,
    bartan maanj ke ek maa char bachche pal leti hai,
    char bachcho se ek maa sambhali nahi jati...

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