Sunday, December 12, 2010

हिंदी छंद/कविता के नियम: संक्षिप्त में



(if Needed in English…….please Write @ bhaskarsag@gmail.com)


हिंदी में बहुत से छंद होते  है | बड़ी कठिनाई से लिखा जाता है नियमो के साथ: मैंने कोशिश की है कि सामानांतर उर्दू के शब्द दूँ |


“छंद”:


“यति”,“गति”, वर्ण या मात्र की गणना के विचार को छंद या पद कहते है.


पंक्तियों को “चरण” या “पद” कहते है----(उर्दू …मिसरा)


“यति”: 


छंद पढ़ते समय…जो बीच -बीच में रुकना पढता है उसे यति कहते है|


“गति ”:


छंद पढ़ते वक़्त……जो उतार चढाव एक लय देता है, उसे गति कहते  है |


तुक:


(तुक-बंदी)…चरण (मिसरा ) के अंत में जो सामान शब्द आते है (उर्दू में …….रदीफ़, काफिया) तुकों से छंद… लय, सुनने में प्रिय व् रोचक हो जाता है……


“मात्रा”:
किसी वर्ण के उच्चारण में जो समय लगता है……उसे मात्र कहते  है……“मात्रा” दो प्रकार की होती है…….”लघु” और “गुरु / दीर्घ”


लघु मात्रा: समय थोडा लगता है जैसे अ, इ, उ, ऋ (का, के, की, कु, क्र)


गुरु/दीर्घ: ई, ई, ऊ, ये, यी, ओ, औ (का, की, कू, कै, को, कौ)


मात्रा की गणना (उर्दू—बेहेर) ही छंद के प्रकार निर्धारण करती है)


सयुक्त व्यंजन  में  पहला….लघु  भी गुरु माना जाता है


विसर्ग और अनुस्वार….से  युक्त….वर्ण भी गुरु माना जाता है


गण:
हिंदी में 8 गण होते है…जो 3-3 अक्षरों के समूह होते है…
यगण (1 2 2), मगण (2 2 2), तगण (2 2 1), रगण (2 1 2), जगण (1 2 1), भगण  (2 1 1), नगण (1 1 1), सगण (1 1 2) 


छंद के कई भेद /प्रकार होते है…उनका आधार नीचे दिए गए हैं…


1. वर्णवत: वर्णों के उनुसार गणना होती है
2. मांत्रिक: चरणों की गणना मात्राओ पर आधारित रहती है
3. मुक्तक: इन में ऊपर का कोई नियम नहीं  होता 


सबसे पहले मैं…….


१. मुक्त छंद:
“अतुकान्तीय छंद” जो सब गणनाओ से आजाद है…..पर सुन्दरता के लिए…लय, उतार चढाव का प्रयोग  हो सकता है, तुक का हो सके तो प्रयोग होता है…इनमे “विचार” अहम है … आज कल ज्यादातर यही रचनाये हिंदी में मिलती है…दूसरी लोग ग़ज़ल कह देते है...


२.“चौपाईयां”: 
चार चरण, हर में 16 मात्राएँ, जगण, तगण…अंत में नहीं होता |


३.“रोला”: 
कुल 24 मात्राएँ, ११वीं और बाद में १३वीं पर विराम, अंत में दो गुरु होना जरूरी है |


४.”दोहा”:
पहले और तीसरे चरण में १३ मत्राए, दुसरे और चोथे में ११ मत्राए….पहले, तीसरे चरण जगण से शुरू नहीं होता, और दूसरे, चोथे का वर्ण सम और लघु होना चाहिए |


५.”सोरठा”:
पहले, तीसरे चरण में ११-११ मात्राएँ, दुसरे और चोथे चरण में १३-१३ मात्राएँ होनी चाहिए ….इसमें पहले और  तीसरे चरण के तुक मिलते  है |


६.”कुण्डलिया”:
शुरुआत में एक दोहा, बाद में ६ चरण होते है…दोहे का अंतिम चरण..रोला का पहला चरण होता है…पहला और अंतिम शब्द एक होता है…


७.”सवैया”:
प्रत्येक चरण  में..७, भगण और दो गुरु वर्ण होते है |


८.”कविता”: 4 चरण होते है, प्रतेक चरण मै 16, 15, और 31 वर्ण होते है, प्रत्येक चरण के अंत मै गुरु वर्ण होना चाहिए…गति ठीक करने के लिए…8..8..8..और 7 वर्ण पर यति रहना चाहिए………

1 comment:

  1. dear bhaskar ji,
    its great to read u, i have called you on ur cell also(hope u remeber) , i would like to know the name of book from where i could get the rule of hindi kavita. U r requested to give me the name of book at the earliest.

    Regards

    Chetan

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