(if Needed in English…….please Write @ bhaskarsag@gmail.com)
हिंदी में बहुत से छंद होते है | बड़ी कठिनाई से लिखा जाता है नियमो के साथ: मैंने कोशिश की है कि सामानांतर उर्दू के शब्द दूँ |
“छंद”:
“यति”,“गति”, वर्ण या मात्र की गणना के विचार को छंद या पद कहते है.
पंक्तियों को “चरण” या “पद” कहते है----(उर्दू …मिसरा)
“यति”:
छंद पढ़ते समय…जो बीच -बीच में रुकना पढता है उसे यति कहते है|
“गति ”:
छंद पढ़ते वक़्त……जो उतार चढाव एक लय देता है, उसे गति कहते है |
तुक:
(तुक-बंदी)…चरण (मिसरा ) के अंत में जो सामान शब्द आते है (उर्दू में …….रदीफ़, काफिया) तुकों से छंद… लय, सुनने में प्रिय व् रोचक हो जाता है……
“मात्रा”:
किसी वर्ण के उच्चारण में जो समय लगता है……उसे मात्र कहते है……“मात्रा” दो प्रकार की होती है…….”लघु” और “गुरु / दीर्घ”
लघु मात्रा: समय थोडा लगता है जैसे अ, इ, उ, ऋ (का, के, की, कु, क्र)
गुरु/दीर्घ: ई, ई, ऊ, ये, यी, ओ, औ (का, की, कू, कै, को, कौ)
मात्रा की गणना (उर्दू—बेहेर) ही छंद के प्रकार निर्धारण करती है)
सयुक्त व्यंजन में पहला….लघु भी गुरु माना जाता है
विसर्ग और अनुस्वार….से युक्त….वर्ण भी गुरु माना जाता है
गण:
हिंदी में 8 गण होते है…जो 3-3 अक्षरों के समूह होते है…
यगण (1 2 2), मगण (2 2 2), तगण (2 2 1), रगण (2 1 2), जगण (1 2 1), भगण (2 1 1), नगण (1 1 1), सगण (1 1 2)
छंद के कई भेद /प्रकार होते है…उनका आधार नीचे दिए गए हैं…
1. वर्णवत: वर्णों के उनुसार गणना होती है
2. मांत्रिक: चरणों की गणना मात्राओ पर आधारित रहती है
3. मुक्तक: इन में ऊपर का कोई नियम नहीं होता
सबसे पहले मैं…….
१. मुक्त छंद:
“अतुकान्तीय छंद” जो सब गणनाओ से आजाद है…..पर सुन्दरता के लिए…लय, उतार चढाव का प्रयोग हो सकता है, तुक का हो सके तो प्रयोग होता है…इनमे “विचार” अहम है … आज कल ज्यादातर यही रचनाये हिंदी में मिलती है…दूसरी लोग ग़ज़ल कह देते है...
२.“चौपाईयां”:
चार चरण, हर में 16 मात्राएँ, जगण, तगण…अंत में नहीं होता |
३.“रोला”:
कुल 24 मात्राएँ, ११वीं और बाद में १३वीं पर विराम, अंत में दो गुरु होना जरूरी है |
४.”दोहा”:
पहले और तीसरे चरण में १३ मत्राए, दुसरे और चोथे में ११ मत्राए….पहले, तीसरे चरण जगण से शुरू नहीं होता, और दूसरे, चोथे का वर्ण सम और लघु होना चाहिए |
५.”सोरठा”:
पहले, तीसरे चरण में ११-११ मात्राएँ, दुसरे और चोथे चरण में १३-१३ मात्राएँ होनी चाहिए ….इसमें पहले और तीसरे चरण के तुक मिलते है |
६.”कुण्डलिया”:
शुरुआत में एक दोहा, बाद में ६ चरण होते है…दोहे का अंतिम चरण..रोला का पहला चरण होता है…पहला और अंतिम शब्द एक होता है…
७.”सवैया”:
प्रत्येक चरण में..७, भगण और दो गुरु वर्ण होते है |
८.”कविता”: 4 चरण होते है, प्रतेक चरण मै 16, 15, और 31 वर्ण होते है, प्रत्येक चरण के अंत मै गुरु वर्ण होना चाहिए…गति ठीक करने के लिए…8..8..8..और 7 वर्ण पर यति रहना चाहिए………
dear bhaskar ji,
ReplyDeleteits great to read u, i have called you on ur cell also(hope u remeber) , i would like to know the name of book from where i could get the rule of hindi kavita. U r requested to give me the name of book at the earliest.
Regards
Chetan