१.
जून जसी ब्वारी मिलली कौ ईज़ल
बेई ब्याव देखि पेट च्याप बे मैंल जून
रात भर ग्यों रवोट जसी देखि मकैं |
२.
भिनेर जस लागौ आंगम म्यार
को चुलम बै आछा तुम
लकड़-पताडकि कुड़ी म्यरी, घर आला के हौल |
३.
बाड़-खवाड त्यार, य गौं- गाड त्यार
य कुड़ी तेरी कुड़ी नानतिन बुडबाड़ी त्यार
द्य्पतो ! कधिने अपण कुड़ लै चै जाओ |
४.
कौतिक मैं हराई लै मिलीं छै
झ्वाड खेलणम, हाथम हाथ धरी
यस सबेरी लै अलोप होंछ क्वे |
५.
त्यार खातिर गौं पधान लै है ज़ोंल
के मिलल ऊ बऊ, सीमेंट खैबेर
लधोड़ चिरी जालो ल्वे ऐजाल |
६.
म्यार दगड़ रोंछी रात्ती ब्याव
अज्याल चाहें ले नि आन बाखई फन
चिरी खलेती हैई , डबल लै हरे जानी |
७.
फुटी कपाव पार निशाण छै नानछिनक
ढूंग डांसील खेल्छी दिनभर
कत्तु कय म्हें नटूवां दगै नि रौ |
८.
अब डीट लै निलागनी मेरी कै पार
अंखाक द्वार ले टूटी छै म्यार
गास - गास जास मिली मैंस मकैं |
९.
ऊ जो म्यर सांकै छी कल्ज़ काखक
साक पै दांत बुड़े गो बेई
लोग नादी ज़स ड़ोंर्यानी उके खेतू मैं |
Thursday, December 9, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
विज्ञापन
दिल्ली हाईकोर्ट ने विज्ञापन मे चेहरा नहीँ दिखाने के लिये कहा तो केजरीवाल आजकल पिछवाडा दिखा रहे है!! अब सीधे विज्ञापन पे आता हूँ: नमस्कार...
-
चेहरे पर पडी 'झुर्रियाँ'... उसके बुढ़ापे की निशानी नहीं... अनगिनत कहानियों के 'स्मृति चिन्ह' हैं... जिनमें 'सिमटे...
-
खाली यूं ही न...बबाल कर खुद से भी कभी... सवाल कर अपना दुश्मन ...खुद ही न बन बात कर ज़रा... जुबां सम्भाल कर तू!!...दलों के दलदल मे न...
-
तीर वो जो दुश्मन की कमान के थे पर तरकश में एक मेहरबान के थे कोशिशें बहुत हुई हमको गिराने की ख़ाब अपने भी ऊँचें आसमान के थे ठोकरें खाकर...
" atyant sargarbhit rachna hai bhaskar ji"
ReplyDelete