शायद कम लोग जानते है कि प्रख्यात कथाकार मुंशी प्रेमचंद अपनी महान रचनाओं की रूपरेखा पहले अंग्रेज़ी में लिखते थे और इसके बाद उसे हिन्दी अथवा उर्दू में अनूदित कर विस्तारित करते थे।
आप की लेखनी ने पतवार बन शब्दरुपी सागर में हमेशा कहानियों की नावों को खूब नाचाया है। आपकी कहानियां मार्मिक, सामाजिक ताने बने पर बुनी समाज के चरित्र और समाज के आइने का दर्शन कराती हैं।साहित्य प्रेमी हमेशा आपको एक मार्गदर्शक के रूप में देखेंगे तथा आपके दिखाये मार्ग का अनुसरण करेंगे!!.....टी टी
आप की लेखनी ने पतवार बन शब्दरुपी सागर में हमेशा कहानियों की नावों को खूब नाचाया है। आपकी कहानियां मार्मिक, सामाजिक ताने बने पर बुनी समाज के चरित्र और समाज के आइने का दर्शन कराती हैं।साहित्य प्रेमी हमेशा आपको एक मार्गदर्शक के रूप में देखेंगे तथा आपके दिखाये मार्ग का अनुसरण करेंगे!!.....टी टी
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