Tuesday, December 8, 2015

कुछ तो बात है इन पहाड़ की हवाओं में!!

पड़ी जो रौशनी नजर कि तेरी, बीमार दिल भी जी उठे
हँस के कांच के टुकड़ो को, चमकने का हुनर दे गया
यूँ ही रह जाती गुमनाम ज़माने में मुहब्बत अपनी
बहा जो आँख से अश्क, ज़माने को खबर दे गया
होना होता है ये अंजाम तो, प्यार में अच्छा क्या है?
एक टीस मिली दिल को, मुझे मीठा जहर दे गया
दो कदम साथ का वादा था, वो भी होके न हुआ
क्यों मेरी टूटती सांसों को एक लंबा सफ़र दे गया?
चुटके हुए आँख के शीशों में है तसवीर 'भास्कर'
मेरी किस्मत मुझे एक तेरे सिवा, सारा शहर दे गया

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