बचपन से ये पढ़ता आ रहा हूँ एक निर्धन ब्राह्मण था...न जाने कितनी कहानियाँ, लेख व् किस्से इस पर कहे व् प्रकाशित किये गए पर उनकी दशा में कोई आश्यर्यजनक परिवर्तन नहीं हुए!!
समय पूर्व भी जिन राजाओं के दरबार में ब्राह्मण रहे तो उस काल के राजाओं की विदेश व् सामाजिक नितियाँ अधिक प्रभावशाली व् क्रान्तिकारी रही!
आज लगता है की वास्तव में आरक्षण देने की आवश्यकता इनको थी जो शिक्षा व् चारित्रिक रूप से अधिक मजबूत व् सक्षम थे।
...टी टी
...टी टी
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