Tuesday, December 8, 2015

‪#‎लोकतंत्र‬ बुकिलोडाव (बिहार चुनाव २०१५): TIMILATIMES ०८-११-२०१५)

गठजोड़, गठबंधन, बिखराव, अहिष्णुता, गौमाता, बीफ़ हिन्दू-मुश्लिम एवं सेक्युलर राजनीतीक पतन , आरोप-प्रत्यारोप एवं आक्षेप के साथ एक और राज्य के चुनाओं का पटाक्षेप हो गया|
राजनीती में रहे तो चुनाओं का आना जाना तो लगा रहेगा लेकिन जिंतने राजनीतिक मूल्यों का पतन इस बार के चुनाओं में हुआ इससे पहले शायद ही कभी हुआ हो|
न मैं अपने को राजनीती का विश्लेषक मानता हूँ और नहीं ही मेरा राजनीती के लेखन व समीक्षा में अधिक अनुभव है पर इस बार हुए आकाश्मिक परिवर्तनों ने लिखने को विवश किया| बिहार चुनाव की समीकक्षा मेरे द्वारा किये गए प्रिंट व् डिजिटल मीडिया के आंकणों का एक मात्र आधार जहां तक जमीनी हकीकत का प्रश्न है वो सभी राजनीतिक पंडितों के लिये भी यक्ष प्रश्न साबित हुआ| क्योंकी जितने भी अनुमान और आंकड़ों के दावे इसबार किये गए नतीजे कही ज्यादा उनके उलट थे|
जहाँ तक देश के कुछ राज्यों बिहार और यूपी का प्रश्न है यहाँ न विकास कभी मुद्ददा था न रहेगा पिछले कुछ चुनाव इस बात के गवाह हैं|
इस बार के चुनावों में एक ओर जहाँ बीजेपी के चाणक्य अमित शाह व् प्रधानमंत्री की जोड़ी आकर्षण का केंद थी वहीँ दूसरी ओर सुशासन बाबू नीतीश कुमार व् लालू की जोड़ी की इज्जत दांव पर थी...किसी का राजनीतिक भविष्य खतरे में था तो कोइ पिछले प्रदर्शन दोहराने का दबाव झेल रहा था|
जिस तरह बीजेपी के पूर्व ब्रांड संचालक ने पाला बदल सुशाशन बाबू की री-रैपिंग की “बिहार में बहार हो , नितिशे कुमार हो” भी प्रमुख कारकों में से एक साबित हुआ| मेरे विश्लेषक मित्र शायद इस बात से सहमत न हों पर राजनीती में दुश्मन की चालों का पूर्वानुमान होना भी एक प्रमुख कारक होता है अगर आप मात न सही लेकिन बचाव अवश्य कर सकते है यही बीजेपी के साथ बिहार में हुआ जिससे बीजेपी की सभी चालें या तो नाकाम हुई या बेनतीजा रही| सुशासन बाबु की छवि का लाभ जहाँ एक ओर कांग्रेस को हुआ वहीँ आरजेडी ने भी दोनों हाथों से भुनाने में कोइ कसर नहीं छोड़ी| महागठबंधन को बिहार में नाराज हुए कुछ बीजेपी के समर्थको और विधायको का भी साथ मिला जो उनकी ताबूत में आंखरी कील साबित हुए ये आंकड़े इस बात के गवाह हैं (२०१० बीजेपी ९१ सीट और २०१५ ५३ सीट ३८ सीटों का नुकसान; २०१० आरजेडी २२ सीट और २०१५ ८० सीट ५८ सीटों का फायदा; २०१० जेडीयू ११५ सीट और २०१५ ७१ सीट ४४ सीटों का नुकसान; कोंग्रेस २०१० ४ सीट और २०१५ २७ सीट २३ सीटों का फायदा), शत्रुघ्न सिन्हा नाराज हुए बीजेपी प्रमुखों में एक थे उनका आगामी पार्टी के चुनावी विश्लेषण में क्या हस्र होगा ये तो समय ही बताएगा लेकिन आज के समय में निःस्वार्थ राजनितिक सफ़र कम ही देखने को मिलता है इनका स्थान आजकल चाटुकार, पूंजीपति, छुटभय्ये, बाहुबली और क्र्मिनल बैकग्राउंड के नेताओं ने हथीया लिए हैं अब राजनीती कोइ देश सेवा का मार्ग नहीं अपितु एक व्यवसाय है जिसमे राजीतिक सत्ता लाभ व् मुनाफे के लिए किसी हद तक भी गिरा जा सकता है! मुझे बरसाने लाल की कुछ पंक्तियाँ याद आ गई जिसमे उन्होने राजनीती पर कटाक्ष करते हुए कहा है की: “थूककर चाटना साहित्य में वीभत्स रस माना जाता है राजनीति में अब उसे श्रृंगार रस मान लिया गया है”
इस पूरे चुनाव में अगर किसी दल विशेष को फायदा है तो वो आरजेडी व् कांग्रेस हैं, जिनको उनके धुरविरोधी अब तक चूका हुआ मान चुके थे, फिर से अपनी प्रभुता स्थापित करने के लिए जिन्होंने सुशासन बाबू के इंजन का बखूबी इस्तेमाल किया और अपनी गाड़ियों को पटरी में लाने का काम किया|
कुल मिलकर राजनीति का एक पक्ष ये भी है की जनता किसे अपने सर अंखों पर बिठाये और किस को उतार फैंके ये सब अंतिम और सर्वमान्य निर्णय होता है जिसका सम्मान होना चाहिये, फिर चाहे विकास, आरक्षण, सुशासन, हवा, ध्रुवीकरण और सेक्युलर कोई भी मुद्दे हों मुद्दे नहीं रह जाते और जात पात भाई-भतीजावाद और मैं-मेरा ये सब इतने बड़े हो जाते है की अन्य सभी मुद्दे बौने रह जाते हैं, क्योंकि अगर सुशासन और विकास ही मुद्दा होता तो क्यों तो बीजेपी का ये हश्र होता और क्यों नीतीश की सीटें घटती! लालू ने दिखा दिया की क्यों आज भी वो अपने विरोधियों के लिए अबूझ पहेली और राजनीती के धुरंधर खिलाडी हैं|
‪#‎राजनीती‬ में एक जीत आपके दामन पे लगे सभी दाग धो देती है, मुझे ये लोकतंत्र की कम‪#‎भाई‬ ‪#‎चारे‬ की जीत अधिक लगती है जो कि लोकतंत्र की बदनसीबी नहीं तो और क्या है? जहाँ आज भी आजादी के 60 सालों में ये सब देखते हुए ये नहीं पता चल पाता की लोकतंत्र की जड़ें गहरी हुई या आज भी टिका है किसी तरह कुछ खम्बों के सहारे जहाँ आज भी लगातार इसके गिरने का खतरा बना हुआ है|
नोट: लेखन एक स्वतंत्र प्रक्रिया है इसको किस दल विशेष के चश्मे से न देखें|
ये लेख उन लोगों के लिए है जो राजनीती को स्वतंत्र निष्पक्षता के आयाम से देखते है राजनीती के ‪#‎सिटोल‬ मुझे माफ़ करे ये उनके लिए नहीं है: TT
(WRITE TO ME @ BHASKARSAG@GMAIL.COM)

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